इंदौर से 73 किमी पर रायबरेली के यादव का चमन ढाबा है, जहां पहुंचने पर इन्हें निःशुल्क खाना मिला। चमन ढाबा पर नहाने एवं खाने की व्यवस्था होने के कारण वहां एक दिन रुक गये थे, वहां जांच करने के लिये डॉक्टर एवं क्षेत्राधिकारी आने वाले थे। इनकी ही तरह वहां और भी मजदूर रुके थे । मजदूरों को बताया गया था कि क्षेत्राधिकारी के आने के बाद बस की व्यवस्था की जायेगी, लेकिन क्षेत्राधिकारी के न आने के कारण मजदूर पैदल ही आगे चल दिये ।
और 6 अप्रैल को सुबह चार बजे ट्रक से प्रयागराज पहुंच गये, प्रयागराज से फिर पैदल चलते हुये सोरांव पहुंच गये। सोरांव गेस्ट हाउस में पैदल आने वाले मजदूरों के लिये भोजन बन रहा था, लेकिन भोजन मिलने में देर होने के कारण चारों मजदूर वहां चेकअप कराकर आगे बढ़ गये । गेस्ट हाउस में उन्हें बताया गया कि डीएम साहेब आने वाले हैं और मजदूरों को देखकर अभी भड़क जायेंगे, जिसके कारण चारों मजदूर वहां से भी चल दिये। लगभग 30-40 किमी चलने के बाद कोई ट्रक वाला मिला जो 200 रूपये प्रति मजदूर किराया लेकर उन्हें सुलतानपुर के पयागीपुर चौराहा पर छोड़ दिया ।
पयागीपुर चौराहा सील होने के कारण चारों मजदूर रेलवे लाइन पकड़कर अंदर गये, जहां पुलिस अधिकारियों को सूचित करके जांच के लिये जिला अस्पताल गये। लेकिन शाम को 7 बजने के कारण जांच करने वाले डॉक्टर चले गये थे। जिसके कारण 6 किमी पैदल चलकर डॉक्टर के पास गये और अपना जांच कराया। सुलतानपुर के गोलाघाट से एंबुलेंस वाले को 800 रुपया देकर अपने गांव पहुंच गये।
ग्राम पंचायत में नहीं है कोई व्यवस्था
गांव पहुंचने के पहले ही उन लोगों ने ग्राम प्रधान राकेश वर्मा को सूचित कर दिया था, जिसके कारण उनके लिये पंचायत भवन खाली रखा गया था।तीनों मजदूरों को पंचायत भवन में 14 दिन के क्वारंटीन के लिये रखा गया है।लेकिन वहां कोई चिकित्सा व्यवस्था नहीं है । पंचायत भवन में न तो बिजली है और न ही पंखा , तीनों मजदूरों के घर से दोनों समय भोजन एवं नाश्ता आता है, मजदूरों को सोने के लिए उनके घर से चारपाई एवं बिस्तर दिया गया है।लेकिन सरकारी स्तर पर खाने-पीने के लिये कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं है।मजदूरों को पहुंचे तीन दिन हो गये हैं । लेकिन उनकी जांच के लिये अभी तक कोई स्वास्थ्य कर्मी अथवा सरकारी कर्मचारी नहीं आया है।आंगनवाड़ी की सहायक सेविका ने इनके आने की सूचना ब्लाक एवं जिला स्तर पर दे दिया है,परंतु यह लोग अभी तक चिकित्सा सुविधा आदि की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
और 6 अप्रैल को सुबह चार बजे ट्रक से प्रयागराज पहुंच गये, प्रयागराज से फिर पैदल चलते हुये सोरांव पहुंच गये। सोरांव गेस्ट हाउस में पैदल आने वाले मजदूरों के लिये भोजन बन रहा था, लेकिन भोजन मिलने में देर होने के कारण चारों मजदूर वहां चेकअप कराकर आगे बढ़ गये । गेस्ट हाउस में उन्हें बताया गया कि डीएम साहेब आने वाले हैं और मजदूरों को देखकर अभी भड़क जायेंगे, जिसके कारण चारों मजदूर वहां से भी चल दिये। लगभग 30-40 किमी चलने के बाद कोई ट्रक वाला मिला जो 200 रूपये प्रति मजदूर किराया लेकर उन्हें सुलतानपुर के पयागीपुर चौराहा पर छोड़ दिया ।
पयागीपुर चौराहा सील होने के कारण चारों मजदूर रेलवे लाइन पकड़कर अंदर गये, जहां पुलिस अधिकारियों को सूचित करके जांच के लिये जिला अस्पताल गये। लेकिन शाम को 7 बजने के कारण जांच करने वाले डॉक्टर चले गये थे। जिसके कारण 6 किमी पैदल चलकर डॉक्टर के पास गये और अपना जांच कराया। सुलतानपुर के गोलाघाट से एंबुलेंस वाले को 800 रुपया देकर अपने गांव पहुंच गये।
ग्राम पंचायत में नहीं है कोई व्यवस्था
गांव पहुंचने के पहले ही उन लोगों ने ग्राम प्रधान राकेश वर्मा को सूचित कर दिया था, जिसके कारण उनके लिये पंचायत भवन खाली रखा गया था।तीनों मजदूरों को पंचायत भवन में 14 दिन के क्वारंटीन के लिये रखा गया है।लेकिन वहां कोई चिकित्सा व्यवस्था नहीं है । पंचायत भवन में न तो बिजली है और न ही पंखा , तीनों मजदूरों के घर से दोनों समय भोजन एवं नाश्ता आता है, मजदूरों को सोने के लिए उनके घर से चारपाई एवं बिस्तर दिया गया है।लेकिन सरकारी स्तर पर खाने-पीने के लिये कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं है।मजदूरों को पहुंचे तीन दिन हो गये हैं । लेकिन उनकी जांच के लिये अभी तक कोई स्वास्थ्य कर्मी अथवा सरकारी कर्मचारी नहीं आया है।आंगनवाड़ी की सहायक सेविका ने इनके आने की सूचना ब्लाक एवं जिला स्तर पर दे दिया है,परंतु यह लोग अभी तक चिकित्सा सुविधा आदि की प्रतीक्षा कर रहे हैं।