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भिवंडी के पावरलूम उद्योग को बचाने के लिए आधुनिकरण अनुदान ३० प्रतिशत करने की मांग

भिवंडी ।एम हुसेन। पावरलूम उद्योग  नगरी  के रूप में पहचाने जाने वाले  भिवंडी शहर में पावरलूम घरघर  चलने वाले  व्यवसायिक आर्थिक संकट में  हैंं ।देश भर में खेती के बाद  सर्वाधिक रोजगार देने वाले पावरलूम व्यवसाय को पुनः पुनर्रजीवित करने के लिए  केंद्र शासन द्वारा आनेे वाले  अर्थसंकल्प में    पावरलूम को  आधुनिकरण करने के लिए  अनुदान  को पुनः ३०  प्रतिशत  किया जाय  इस प्रकार की मांग  भिवंडी पदमानगर पावरलूम वीवरर्स  एसोशिएशन के  अध्यक्ष तथा राष्ट्रीय  स्तर पर  काम करने वाले पीडिलेक्स के  पूर्व  अध्यक्ष पुरुषोत्तम वंगा  ने  केंद्रीय वस्त्रद्योग मंत्री स्मृती ईराणी  के समक्ष  प्रस्तुत  ज्ञापन  द्वारा किया है  ।
          आगामी २०२० -- २१  इस आर्थिक वर्ष के  अर्थसंकल्प में  वस्त्रोद्योग मंत्रालय द्वारा क्या  सहायता की जाएगी   ? इसके लिए  देशभर से जानकारी  मंगाई  गई थी।इस संदर्भ में  भिवंडी स्थित  पुरषोत्तम वंगा द्वारा  ई - मेल द्वारा जानकारी  मांगी थी  ,जिसके  अनुसार इन्होनें  इस बाबत  जानकारी  लिखित  रूप से प्रस्तुत किया है।जिसमें  सन २०१२  के  अर्थसंकल्प में  २०१७  तक पावरलूम  आधुनिकरण हेतु  ३०  प्रतिशत  अनुदान था  ।परंतु  सन २०१६ में  यह अनुदान कम करके १०  प्रतिशत  कर दिया गया है ,इसलिए आज की परिस्तिथि में भारी संख्या में पावरलूम आधुनिकरण करना बाकी  है  ।जिसके लिए उक्त  अनुदान को पुनः ३०  प्रतिशत  किया गया तो इसका लाभ  बड़े पैमाने पर  पावयलूम व्यवसायियों को  होगा। इसी प्रकार  पूर्व  तीन वर्षों से आधुनिकरण करने के लिए  मिलने वाला   अनुदान  बाधित  है। जिसकारण यह  पावरलूम  धारकों को तत्काल प्रभाव से उपलब्ध कराया जाये। भिवंडी शहर  में   पावरलूम  व्यवसाय १०० वर्ष  पुराना है जो राष्ट्रीय  स्तर पर  कुल पावरलूम  संख्या में से  लगभग  ३० प्रतिशत  पावरलूम  भिवंडी शहर में संचालित है।  यहां के  व्यवसायियों को   कच्चा माल अर्थात धागा खरेदी सहित  तैयार कपडा विक्री  हेतु  मुंबई  स्थित  बाजारपेठ पर  निर्भर रहना  पड़ता है।इसलिए  भिवंडी में  बाजारपेठ शुरू  की जाये  इस प्रकार की  स्थानिक व्यापाऱियों द्वारा  पूर्व कई  वर्षों से मांग की जा रही है।इसलिए  राज्य शासन द्वारा  भूखंड उपलब्ध कराई जाये इस प्रकार की मांग  निरंतर की  जा रही है ,जिसके लिए  राज्यशासन ने  जिल्हाधिकारी की अध्यक्षता में पूर्व  २०  दिसंबर  २०१८ में समिति  भी स्थापित की है ,परंतु  आज तक दो बैठक हुई है फिर भी कोई   एक भी       समस्या का समाधान  नहीं किया गया जिसपर दुखी होकर  पुरुषोत्तम वंगा  ने नाराजगी व्यक्त की है  । इसी  प्रकार संपूर्ण देश में  पावरलूम  उद्योग के लिए एक ही  बिजली दर लागू किया जाये। इसी के साथ  वस्तू व सेवा कर प्रणाली अंतर्गत कॉटन कपडा  हेतु   ५  प्रतिशत  तथा सिंथेटिक कपडा हेेतु  १२  प्रतिशत  कर प्रणाली लागू किया  जा रहा है। परंतु  वह एक ही पद्धति से अमल में लाना चाहिए  ,  जिससे उक्त   उद्योग को उर्जितावस्था प्राप्त होगी  इस प्रकार का  विश्वास पुरषोत्तम वंगा ने  प्रेस विज्ञप्ति  द्वारा व्यक्त किया है  ।
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