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सुख होते हुए भी दुःख के कारण वहां मौजूद होते हैं

भिवंडी। एम हुसेन ।श्री राजस्थान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में भिवंडी के भगवान महावीर रोड स्थित महावीर भवन के गुरु श्रेष्ठ पुष्कर देवेंद्र दरबार में विराजित राष्ट्रसंत दक्षिण सम्राट श्री नरेश मुनिजी ने कहा कि दुःख और सुख की ये जो अवस्थायें प्रत्येक व्यक्ति के साथ जुड़ी हैं। उनका कारण बताया गया है मोह,अज्ञान,राग और द्वैष, जब तक ये उपस्थित रहते हैं तब तक व्यक्ति दुःखी रहता है चाहे छणभर सुख का वह आभास करते, पर यथार्थ में वहां सुख नहीं होता। क्योंकि सुख होते हुए भी दुःख के कारण वहां मौजूद होते हैं।
  उन्होंने कहा कि कल्पना कीजिए कि एक व्यक्ति शांत बैठा हुआ है, एयरकंडीशन  लगा हुआ है। कमरा ठंडा है और वह सोच रहा है कि मैं बहुत आराम से हूं, क्योंकि उसे गर्म हवा तथा गर्मी नहीं लग रही है। पर वहां उसके पास जनरेटर नहीं है,  यदि अचानक बिजली चली जाए तो क्या वह सुख रूप में रहेगा। नहीं क्योंकि उसके पीछे कारण बने हुए हैं दुःख के। इस दौरान श्री शालीभद्रजी म.सा. ने बहुत ही सुंदर भजन प्रस्तुत किया और डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा. ने श्रद्धा पर विवेचना किया।   
   संसार का मूल कारण मिथ्यात्व है, जबकि मिथ्यात्व शत्रु है, मिथ्यात्व तो हताहत जहर है, मिथ्यात्व अन्धकार है। हमारी श्रद्धा पक्की होनी चाहिए, डावाडोल नहीं होनी चाहिए। श्रद्धा होगी प्रभुवचन पर तो आत्मा प्योर पावर परफेक्ट होगी। कार्यक्रम का संचालन संघमन्त्री अशोक बाफना ने किया एवं उक्त जानकारी लक्ष्मीलाल दोषी ने दिया। 
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